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Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics | आरती कुंज बिहारी की | Krishna Aarti | Anuradha Paudwal

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics

भक्ति की मधुर धारा में बहने वाला अद्भुत भजन है Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics। यह आरती श्रीकृष्ण के कुंज बिहारी रूप की महिमा का बखान करती है, जहां वे राधा रानी के साथ निত्य विहार करते हैं। Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics में वृंदावन की वह दिव्य छटा झलकती है, जो भक्तों के हृदय को आनंदित कर देती है। यह गीत हमें उस लोक में ले जाता है, जहां प्रेम और भक्ति का अनंत सागर लहराता है।

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

Anuradha Paudwal Aarti Kunj Bihari Ki Video

अंत में, यह कहना उचित होगा कि Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। यह हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने दैनिक कर्मों को भी भगवान के प्रति समर्पित कर सकते हैं। इस आरती के साथ, हमारा जीवन एक सतत पूजा बन जाता है, और हमारा हर कदम श्रीकृष्ण के चरणों की ओर बढ़ता है।

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