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Bhaye Pragat Kripala Lyrics in Hindi / भए प्रगट कृपाला दीन दयाला रामचरितमानस श्री राम स्तुति

Bhaye Pragat Kripala Lyrics

भारतीय संस्कृति में राम जन्म का उत्सव अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया जाता है, और इसी उल्लास को शब्दों में पिरोता है Bhaye Pragat Kripala Lyrics। यह भजन श्री राम के अवतरण की दिव्य घड़ी का वर्णन करता है, जब त्रिलोक में आनंद की लहर दौड़ गई थी। Bhaye Pragat Kripala Lyrics में है वो अलौकिक आभा, जो अयोध्या में छाई थी जब राजा दशरथ के यहां पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी।

Bhaye Pragat Kripala Lyrics in Hindi

भए प्रगट कृपाला भजन लिरिक्स

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी ॥

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता ॥

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता ॥

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै ॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा ॥

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा ॥

दोहा:
बिप्र धेनु सुर संत हित,
लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु,
माया गुन गो पार ॥

भए प्रगट कृपाला दीन दयाला रामचरितमानस श्री राम स्तुति Video

अंततः, Bhaye Pragat Kripala Lyrics केवल एक भजन नहीं है; यह एक अनुभूति है, एक यात्रा है जो हमें अयोध्या की उस पावन भूमि पर ले जाती है जहां स्वयं विष्णु ने मानव रूप धारण किया। यह भजन हमें स्मरण कराता है कि प्रभु का अवतरण मात्र एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि प्रत्येक युग में घटित होने वाली एक सतत प्रक्रिया है। जैसे-जैसे हम इस भजन के भावों में डूबते हैं, वैसे-वैसे हमारा हृदय भी एक मंदिर बन जाता है, जहां राम सदैव विराजमान रहते हैं। Bhaye Pragat Kripala Lyrics हमें याद दिलाता है कि जीवन की हर कठिनाई में, हर संकट में, राम हमारे साथ हैं। बस हमें उन्हें पुकारने की, उनकी शरण में जाने की आवश्यकता है। इस भजन के माध्यम से, हम न केवल राम जन्म का उत्सव मनाते हैं, बल्कि अपने भीतर के राम को भी जगाते हैं। यही इस भजन की सार्थकता है, यही इसकी महानता है।

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