Mangal Bhavan Amangal Hari Lyrics | मंगल भवन अमंगल हारी Lyrics
जय श्रीराम भक्तों!
आज हम एक ऐसे मंत्र के बारे में चर्चा करेंगे जो हर राम भक्त के ह्रदय में बसता है – “मंगल भवन अमंगल हारी”। यह मंत्र तुलसीदास जी के रामचरितमानस का अंश है, जो भगवान श्रीराम की महिमा का गुणगान करता है। आइए, इसके भावार्थ और महत्व को समझें और इसकी पवित्रता को अपने जीवन में समाहित करें।
Mangal Bhavan Amangal Hari Lyrics
Mangal bhavan amangal hari
Drabahu sudasarath achar bihari
Ram siya ram siya ram jay jay ram
Ram siya ram siya ram jay jay ram
Ho, hoi hai vahi jo ram rachi raakha
Ko kare tarak badhaaye saakha
Ram siya ram siya ram jay jay ram
Ram siya ram siya ram jay jay ram
Ho, dhiraj dharam mitr aru naari
Aapad kaal parakhiye chaari
Ho, jehike jehi par satya snehu
So tehi milay na kachhu sandehu
Ho, jaaki rahi bhavna jaisi
Prabhu murti dekhi tin taisi
Ho, raghukul rit sada chali aai
Praan jaae par vachan na jaai
Ram siya ram siya ram jay jay ram
Ram, ram siya ram siya ram jay jay ram
Ho, hari anant hari katha ananta
Kahahi sunahi bahuvidhi sab santa
Ram siya ram siya ram jay jay ram
Ram, ram siya ram siya ram jay jay ram
Ram siya ram siya ram jay jay ram
मंगल भवन अमंगल हारी Lyrics:
मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी
होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी
जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
हो, जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी
रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
भावार्थ और व्याख्या:
मंगल भवन अमंगल हारी:
यह पंक्ति भगवान श्रीराम की महिमा का गुणगान करती है, जो सभी प्रकार के अमंगल को हरते हैं और हर घर को मंगलमय बनाते हैं।
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी:
भगवान श्रीराम, जो राजा दशरथ के आंगन में विहार करते हैं, उनकी शरण में जाने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
होइहि सोइ जो राम रचि राखा:
जो कुछ भी होता है, वह भगवान श्रीराम की इच्छा और योजना के अनुसार ही होता है। कोई भी इसे बदल नहीं सकता।
को करि तर्क बढ़ावै साखा:
भगवान की इच्छा को तर्क से बढ़ाया नहीं जा सकता। यह अटल सत्य है।
धीरज धरम मित्र अरु नारी, आपद काल परखिये चारी:
धीरज, धर्म, मित्र और पत्नी की सच्ची परीक्षा कठिन समय में ही होती है।
जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू, सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू:
जिसे जिस पर सच्चा प्रेम होता है, वह अवश्य उसे मिलता है। इसमें कोई संदेह नहीं है।
जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरति देखी तिन तैसी:
जिसकी जैसी भावना होती है, उसे भगवान की मूर्ति वैसी ही दिखाई देती है।
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई:
रघुकुल की यह रीति सदा से चली आ रही है कि प्राण जाएं पर वचन नहीं टूटे।
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता, कहहि सुनहि बहुविधि सब संता:
भगवान हरि अनंत हैं और उनकी कथा भी अनंत है। सभी संत इसे अनेक प्रकार से कहते और सुनते हैं।
इस मंत्र का महत्व:
- आध्यात्मिक शांति: इस मंत्र का नियमित जाप करने से मन को शांति मिलती है और आत्मिक बल में वृद्धि होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सकारात्मकता को बढ़ाता है।
- विपत्तियों का नाश: जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं को दूर करने में यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है।
- भगवान का आशीर्वाद: भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह मंत्र सर्वोत्तम है।
इस मंत्र का जाप कैसे करें?
- स्वच्छता: सबसे पहले, स्वच्छ स्थान पर बैठें।
- ध्यान: आंखें बंद करके भगवान श्रीराम का ध्यान करें।
- जाप: धीरे-धीरे और पूर्ण विश्वास के साथ इस मंत्र का जाप करें। प्रतिदिन 108 बार जाप करने से विशेष लाभ होता है।
- समर्पण: अपने मन, शरीर और आत्मा को भगवान श्रीराम के चरणों में समर्पित करें।
नित्य जाप का समय:
सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में या शाम को सूर्यास्त के समय इस मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
निष्कर्ष:
“मंगल भवन अमंगल हारी” मंत्र की शक्ति अपार है। यह मंत्र न केवल हमारे जीवन को मंगलमय बनाता है बल्कि हर अमंगल को हरने की शक्ति भी प्रदान करता है। आइए, हम सभी मिलकर इस दिव्य मंत्र का जाप करें और भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त करें। जय श्रीराम!
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हरि ओम तत्सत!
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